कुछ रातें ऐसी होती हैं अधखुली आँखें आधी सोयी, आधी जागी ख्वाबों की दस्तक पर चौंक उठती हैं कुछ रातें ऐसी होती हैं रेडियो वाली लड़की हंसती है, खिलखिलाती है बेनाम उस आवाज़ से जाने कितनी गिरहें खुलती हैं कुछ रातें ऐसी होती हैं खिड़की में चाँद और करवटें, और करवटें डेढ़ पहर रात्री चांदनी में कटती है कुछ रातें ऐसी होती हैं ज़हन में कुछ शब्द आते हैं अधूरी जो नज़्म बनती है उजाले से डरे दिल का सच अँधेरे में बेख़ौफ़ कहती हैं कुछ रातें ऐसी होती हैं धुंधलाने लगता है सब चांदनी फीकी पड़ने लगती है सब अधुरा सा रह जाता है अधूरे ख्वाब, अधूरी नज़्म अधूरे गाँठ, अधूरी रात सुबह की पहली किरणें रात के स्लेट को साफ़ कर देती हैं कुछ रातें ..... For those whose hindi font is not working Kuchh raatein aisi hoti hain adhkhuli ankhen aadhi soyi, aadhi jaagi khwabon ki dastak par chaunk uthi hain kuchh raatein aisi hoti hain radio wali ladki hansti hai, khilkhilati hai benaam us awaz se jane kitni girhein khulti hain kuchh raatein aisi hoti hain khidki mein chand aur karwatein, aur karwatein dedh pahar raat chandni mi